दिल की समझाता उसको
दिल की समझाता उसको
भेद मन के सब स्पष्ट बताता उसको
बात हौले से दिल की समझाता उसको
है घिरा वो जिस गलतफहमियों से अब तक
बोल किस्सा सब उससे झुठलाता उसको
नेह की टूट गई डोर जटिल जो प्यारी
हाल-बेहाल हुआ जो दिखलाता उसको
भाव पाषाण हुए से दिल को ओ साथी!
भावना से जुड़ करके बहलाता उसको
अब लगा हृदय से उनसे तुम बोलो
प्रेम से मन समझाकर सहलाता उसको।
