STORYMIRROR

Dipak Kumar "Girja"

Romance

4  

Dipak Kumar "Girja"

Romance

दिल की आवाज़

दिल की आवाज़

1 min
38


वही दिल है लेकिन जवानी नहीं वो

दिल धड़कता है लेकिन रवानी नहीं वो

उसकी यादें तो दिल में अभी भी है जिंदा

मै दीवाना हूं लेकिन दीवानी नहीं वो


मोहब्बत की भी उम्र होती है शायद

भला उसकी कैसे करूं मैं शिकायत

दिल के झरोखे में यादें हैं सिमटी

गुज़रा ज़माना कहानी नहीं वो


पल सिमटता ही जाता है हर एक मंज़र

कैसे रोकूँ मै दिल में उमड़ता समंदर

उसकी राहो में नज़रे अभी भी है ठहरी

ढूढ़ता हूं निशाँ पर निशानी नहीं वो


उसकी यादों में खोया हुआ रात दिन

जी रहा हूँ मै तशवीर सी जिंदगी

आज भी है डगर पहले जैसे मगर

अब बहारो में शायद रवानी नहीं वो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance