"दीपक"
"दीपक"
घोर अमावस की रात,
तिमिर का साम्राज्य था।
दीवाली का दिन था,
मौका बड़ा खास था।
लड़ाई बड़ी थी,
शत्रु बलवान था।
चारों ओर उसकी जमीं थी धाक,
पारा चौथे आसमान था।
मिलकर जलायें दीपक,
तिमिर का पर्दाफाश हुआ।
छट गया अंधेरा,
चहुं ओर प्रकाश हुआ।
