दीप पर्व
दीप पर्व
दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम
एक दीप स्नेह का भी जलाना तुम,
घर-आंगन दीपों से सजाना तुम
पर एक दीप अपनत्व का भी जलाना तुम,
दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम।
भोग लक्ष्मी- गणेश को बेशक लगाना तुम
पर भूख किसी भूखे की भी मिटाना तुम
दीप पर्व आपकी जब मनाना तुम।
खुशियां सिया राम घर वापसी की मनाना तुम
पर वनवास किसी और का न कराना तुम
दीप पर्व अबकी जब मानाना तुम।
वचन सिया राम सा निभाना तुम
प्रीत भरत- लक्ष्मण सी लगाना तुम
दीप पर्व अबकी जब मानाना तुम।
कलंक किसी सिया पर न लगाना तुम
दिल किसी का न दुखाना तुम
दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम
धन- दौलत के खातिर
अपनों को न ठुकराना तुम
मार्ग सत्य का अपनाना तुम
दीप पर्व अबकी जब मानाना तुम।
दीप खुशियों के बेशक जलाना तुम
पर दर्द भी किसी का मिटाना तुम
दीप पर्व अबकी जब मनाना तुम।
