धूम्रपान
धूम्रपान
कर के धूम्रपान घर जला रहे हो तुम।
सेहत को अपनी क्यो गवां रहे हो तुम।
घर का अपने सत्यानाश कर रहे हो ।
मेहनत की कमाई बर्बाद कर रहे हो।
पी पी कर धूम्र को कंकाल हो जाओगे।
बर्बाद करके पैसा कंगाल जो जाओगे।
गवां रहे हो अपनी इज़्ज़त समाज में।
लगा रहे हो कोंढ़ क्यो तुम खाज में।
विनाश के सिवा तुम्हे कुछ न मिलेगा।
बैठ कर कल फिर तू हाथ ही मलेगा।
सीख लो तुम अभी समय चेताता है।
जो समय को ठुकराता है पीछे पछताता है।
चढ़ा है सिर पर तुम्हारे धूम्र का जो नशा।
खराब कर देगा तुम्हारी ज़िंदगी की दशा।
चिताती है चेतना चेत जाओ तुम अभी।
ज़िन्दगी में पछतावा तुमको न हो कभी।
क्यो गिनाते हो ज़िन्दगी की लाचारियाॅ॑।
पी करके धुएॅ॑ को पालते हो बीमारियाॅ॑।
तुम्हारे कर्मो की सजा परिवार पाता है।
तुम्हारे धूम्र से वह भी बीमार हो जाता है।