धुँआ
धुँआ
बहुत तरक्की कर ली हमने, बहुत आविष्कार कर लिए
मशीन, औजार, हथियार बनाये, कल कारखाने खड़े किए
चिमनी के उगलते धुओं से, आसमांं नीला से काला हुआ
हवा में जहर भरा कि जहरीली हवा में जीना मुहाल हुआ
उद्योग-धंधे खड़े किए थे मानव की जरुरत पूरा करने को
पर हम इतना लालची हो गए, ज्यादा धन-दौलत भरने को
प्रकृति जब भी देती है तो, भरपूर स्नेह-दुलार लुटा देती है
पर जब यह क्रोधित होती है, प्रचंड कालिका सी लगती है
अब भी देर नहीं हुई है मानव, अपने धुएँ-फैक्ट्री बंद करो
प्रकृति हरित रहे, खुश हरेक प्राणी हो ऐसा प्रयास करो