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Krishna Khatri

Abstract

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Krishna Khatri

Abstract

धन्य है!

धन्य है!

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आया है ये नया जमाना 

लाया है संग अपने 

अनोखी टेक्नोलॉजी

पर अब तक ना आई 

समझ में मेरी


यूं तो मैं हूं स्मार्ट

लेकिन,

होती है क्या आईटी 

अपने तो,

पले नहीं पड़ती


ना ही समझ में आते है

लेपटाॅप, कंप्यूटर और 

मेरा वो स्मार्ट फोन भी

सब घुमाकर 

रख देते है मुझको


फिर भी है,

कितने यूजफुल सारे

हो गई है आसान

यह जिन्दगी भी 

घंटों का काम 

हो जाता है मिनटों में 


तय हो जाती है 

हफ्तों की दूरी कुछ ही घंटों में 

सात समंदर पार भी 

देख लेते है इक-दूजे को 


सुन लेते है दो बोल 

पल ही में,

मिल लेते है अपनों से!

धन्य है ये टेक्नोलॉजी 

जो,

सिखा देती है -

जीने का अंदाज़!


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