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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Abstract Comedy

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S R Daemrot (उल्लास भरतपुरी)

Abstract Comedy

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो

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धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो। 

जैसे भी मिल जाये, पैसे को न छोड़ो।।

पैसे के बिना यार, बड़ा लफड़ा होता है।

पैसे वाला मरियल भी तगड़ा होता है। 


पैसा है तो काला भी गौरा लगता है। 

साठ साल का बंदा भी, छोरा लगता है। 

 नाता जोड़ो पैसे से, दिल को न तोड़ो।

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो। 


पास यदि पैसा है, मोटर कार दिलादे। 

यार मिलादे बिछड़ा, तुमको प्यार मिलादे। 

पैसा है तो सारे रिश्तेदार बनेंगे। 

नफ़रत करने वाले भी खुद यार बनेंगे। 


आज वही ऊँचा है, जिस पर पैसा है। 

स्वर्ग-नर्क को यार भला किस ने देखा है।

 गति बढ़ा दो भईया जी, तेजी से दोडो।

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो।


पैसे फेंक तमाशा, देखा जा सकता है। 

पैसा होगा तभी तो, फेंका जा सकता है। 

पैसा हर ताले की, चाबी होती है। 

कहते हैं निर्धन की जोरू, सबकी भाभी होती है। 


अबतो इस दुनिया की , मंजिल है पैसा। 

प्यार ,मोहब्बत, इश्क़ और ये दिल है पैसा। 

पैसे के संग मिलकर, जीवनधारा जोड़ो।

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो। 


पैसे से पूरा हर सपना हो जाता है। 

दो पैसे तो अफ़सर अपना हो जाता है। 

पैसे हैं तो पुलिस भी, तुम्हें सलाम ठोकेगी। 

नंबर दो के धंधे से भी, नहीं रोकेगी। 


 ऐसे, वैसे, जैसे खूब कमाओ पैसे।   

पकड़े भी जाओ तो दे जाओ पैसे। 

पैसों पर पैसे रखकर इस ढंग से जोड़ो।

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो। 

  

पैसे की ताक़त समझो, जानों पैसे को।

झूंठ को सच कर सकता है, मानो पैसे को। 

पैसे के अंदर देखो, कितना आकर्षण। 

महक रहा पैसे वाला, सड़ता है निर्धन। 


बिन पैसे के चारों ओर अंधकार ही दिखता। 

पैसे वाला बुद्धू भी संस्कारी दिखता। 

अर्ज़ करे 'उल्लास, नकद का हाथ न छोडो।

धंधे की कुछ बात करो, कुछ पैसे जोड़ो।     


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