दहलीज
दहलीज
ये दहलीज बड़ी
हैरान कर देती
घर में महकती
आंगन में चहकती
मन रुपी तिजोरी
भरपूर कर देती।
एक दिन बिटिया
दहलीज पार जाती।
ज़िन्दगी का नेह पाती
ऊंची उड़ान भरती
घर को मंदिर बनाती
आकांक्षा पूरी हो जाती।
दो कुलो के चौखट
संस्कारों से सजाती
सुख की किरणें छूपती
दुःख के आंसू पोंछती।
जन्मदात्री माँ मौन होती
दिल से दुआएं देती।
सुखी रहें बेटी मेरी
चौखट की हो रखवाली।
ये दहलीज मन को
तब हैरान कर देती
पहेलियां हल न होती
बेटी की चिंता सताती।
ये दहलीज बड़ी
परेशान कर देती।