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Rajiv Singh

Drama Tragedy

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Rajiv Singh

Drama Tragedy

दहेज़ व्यथा

दहेज़ व्यथा

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ले ले रकम उधार कर्ज,

पूरा किया बाबुल का फर्ज।

डोली में बैठा कर लाडो को,

भूल गया सब अपने मर्ज।


दूल्हा था सरकारी नौकर,

दहेज़ माँगा सो बढ़ चढ़ कर।

एक माँगा सौ दिया,

सारी सम्पत्ति खो दिया।


रिश्ते नातेदारों से ही नहीं,

आस पड़ोस वालो से भी कर लिया।

पर न जाने किस गलती पर,

लाडो को एक दिन जला दिया।


पूछा गया तो पता चला

बाप ने दहेज़ था कम दिया।

बाप ने दहेज़ था कम दिया।।


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