धैर्य रख
धैर्य रख
मत कर मत कर , मत कर आत्महत्या मत कर '
गिरना उठना प्रकृति का नियम ,
दौड़ने से मत डर ' मत डर ' मत डर ।
देर से सही . सुबह तो होगी काली रात गहरी से अब मत डर, मत डर , मत डर ' ।
संत्रास डर ,चिन्ता से बेबस
तू बहादुर बन ' आत्महत्या मत कर मत कर ' मत कर ।
तू जो खडा होगा नहीं 'अभी हिम्मत करेगा नहीं '
जीवन से बिखर ' टूट टूट कर मत झर मत झर , म त झड़ ।
पत्ते 'सूखे 'झडे ' पतझड़ में '
बसंत की प्रतिक्षा में रत ' धैर्य रख ' ' धैर्य रख ' धैर्य रख ।