देव दीपावली
देव दीपावली
कार्तिक अमावस्या को मनती दिवाली,
फिर पूर्णिमा को होती देवों की दिवाली !
काशी नगरी में पधारें देव लोक से सभी देवता,
इसी कारण होती नगरी की खूब साज-सज्जा !
राक्षस त्रिपुरासुर राज करता था तीनों लोकों में
शिवजी ने त्रिपुरासुर का वध कर मुक्ति दिलाई !
देवों का उद्धार हुआ,दिन था कार्तिक पूर्णिमा,
खुशी में देवों ने दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया
राजा ने काशी में देवों के प्रवेश पर रोक लगाई
शिव के प़चगंगा में स्नान के बाद रोक हटाई।
खुशी में सभी देवताओं ने काशी में प्रवेश किया,
घाट पर असंख्य दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया।
पूर्णिमा को काशी में गंगा स्नान और दीपदान होता,
पूरी नगरी को ही सुंदर रौशनी से सजाया जाता।
देवों के दीपावली मनाने से संबंधित यह पर्व मनाते,
काशी घाट में सूर्यास्त के समय असंख्य दीप जलाते।
काशी की शोभा और भी ज्यादा तब बढ़ जाए,
जब शशि तीलक लगाए जल में दर्श दिखाए !