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Aarti Ayachit

Abstract

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Aarti Ayachit

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"देशभक्ति" (हिंदी कविता)

"देशभक्ति" (हिंदी कविता)

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1. वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो


2. दल कभी रुके नहीं

कदम कभी थके नहीं


3. सामने पहाड़ हो

सिंह का दहाड़ हो


4. आंधी या कराल हो

किंतु तुम डरो नहीं

कदम-कदम बढ़े चलो


5. चाहे मेघ गरजते रहे

मेघ बरसते रहे

बिजलियाँ कड़क उठे



6.भयावह रूप हो सामने

पर तुम निडर हटो नहीं

तुम निडर डटो वही


7.अन्न भूमि में धरा

वीर भूमि में भरा

यत्र कर निकाल लो

रत्र भर निकाल लो


8.मातृ भूमि की रक्षा के लिए

प्रात हो की रात हो

संग हो ना साथ हो



9. सूर्य से बढ़े चलो

चंद्र से बढ़े चलो

मन में प्रण किये हुए

तिरंगा हाथ में लिए हुए


10. गीत ये मन में गाते हुए

अपना झंडा हमको ज्यादा, 

प्यारा अपनी जान से

युगों – युगों तक लहराएगा, 

सदा तिरंगा शान से


11. केसरिया रंग है झंडे में

शौर्य, वीरता, त्याग का



12. हरा रंग है खुशहाली और,

जन – जन के अनुराग का


13. सफ़ेद रंग तो सदा चाहता

सबको शांति जहान से

अपना झंडा हमको ज्यादा, 

प्यारा अपनी जान से


14.नीला चक्र मध्य में कहता, 

बढे प्रगति-रथ शान से

अपना झंडा हमको ज्यादा, 

प्यारा अपनी जान से


15. इस झंडे का मान बढाने

प्राण दिए है वीरो ने

पा आजादी लाल किले पर

फहराया रणधीरों ने


16. झंडा गीतों की स्वर लहरी

गूंजे दूर वितान से

अपना झंडा हमको ज्यादा 

प्यारा अपनी जान से


17. इस झंडे के साथ

हे देश के वीरों

संदेश ये लिए हुए

कोशिश सदा यही करो


18. रहे बरकरार

भारत की आन-बान-शान

वीर तुम बढ़े चलो

धीर तुम बढ़े चलो







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