देश माँगे 'मुझे'
देश माँगे 'मुझे'
मलीन बस्तियों के पास
दिन के उजाले को "रोशन"
करती स्ट्रीट लाइट्स है चिढ़ाती।
भूख से बिलखते बच्चो के बगल में
किसी नयी फ़ूड चेन के प्रमोशन
में लगी स्टाल मुँह बनाती।
दुकान पर काम करते
किसी "छोटू" की बेबसी
अक्सर मेरी खिल्ली उड़ाती।
दूर गाँव मे अभी भी किसी की
चिट्ठी न पहुँच पाती
और शहर मे किसी किशोर के
मोबाइल पर डाउनलोडेड
रिंगटोंस ताने मार कर जाती।
रोज़ कितने ही बेगारी मे मरते
पर किसी फिल्म स्टार की
बीमारी सबको फ़िक्र में लाती।
मेरे देश को मेरी ज़रुरत है
ये सब बातें शायद
मुझे यही याद दिलाती।