देश बंद और हम भी...
देश बंद और हम भी...
सब बंद है आज
घर...बाजार... और दुकान,
चार दीवारों में बंद है
आज हर इंसान।
दम घुट रहा होगा
मन गुम सा ही होगा
एक कमरे में चार लोग तो होंगे
पर सब अपने फ़ोन में होंगे।
कुछ खुश होंगे
तो कुछ निराश से होंगे।
कल का दिन ऐसा न हो
शायद कुछ इस आस में होंगे।
कितनी अजीब सी दुविधा है
भाई बहन कभी आपस में लड़ते थे
पर आज वो भी पब जी में उलझ रहे हैं।
खुश होगी तो केवल आज माँ ही होगी
उसका पूरा परिवार जो एक साथ है।
पर किसी को बात करता न देख
वो भी हताश है।
उन्हें क्या पता था कि ये जो टेक्नोलॉजी का समंदर है
उनका परिवार डूबा उसी के अंदर है।