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Sakshi Arora

Abstract

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Sakshi Arora

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नया साल

नया साल

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ये ना पूछो कि साल कैसा रहा 

ये ना पूछो कि हाल कैसा रहा 


जहाँ से शुरू किया था आज वही हूँ मैं 

जहाँ छूट गए थे कुछ अपने 

हाँ वही खड़ी हूँ मैं।


आँखों में सवाल और दिल में तसल्ली लिए 

कुछ लोग अगर छूटे तो कुछ मिल भी तो गए।

कुछ हादसे भी इस दर्मिया हुए 

पर वो भी तो कुछ सीखा कर ही गए।


जिसने जाना था वो गया

जिसने चलना था वो साथ चल रहा।

पर मैं कही ना रुकी 

हर कदम बस सुकून तलाशती ही रही 

अभी भी यह तलाश ज़ारी हैं 


खुद को थोड़ा और निखार लूँ मैं 

बस अब यही तैयारी हैं।


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