डर
डर
दिल डरता है
कुछ कहने से,
हर पल हर वक्त
कुछ को देने से।
तुम्हारी नजरों में,
तन्हाई के बादलों से।
अचानक जो बरसती,
अश्रु की बहार से।
दिल डरता है,
आने वाले तूफानों से
हाथों के साथ को,
छूट जाने से।
तुम्हारे पास आके,
दूर जाने से।
निर्मम ज़माने की
कही बातों से।
दिल डरता है
अंजानी राहों से
चल पड़े हैं जिस ओर
उन पथरिली राहों से
अंधेरी गुफाओं की
प्रेम भरी रौशनी से।