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RAJESH KUMAR

Inspirational Children

3.6  

RAJESH KUMAR

Inspirational Children

डर पर लगाम

डर पर लगाम

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परिचित सा शब्द 'डर'

क्यों, कहाँ, कब, किससे ?

सामना होना स्वाभाविक सा

परिचित सा शब्द 'डर'


डर ना हो, अनर्थ भी हो सकता!

हद से ज्यादा हो, विकार हो सकता!

डर मर्यादा में हो, जीवन अनुसाषित

डर अस्वाभाविक हो,जीवन दुष्कर 


कारण अगर है, तो निवारण भी है

'डर' के घोड़े पर लगाम जरूरी है

अपने व दूसरों के लिए जरूरी है

निवारण हो, पर्याप्त प्रयास जरूरी है।


जीवन यात्रा अनन्त है, क्यों डर?

अपने को पहचान, ना अनजान बन

जो हुवा नही, क्यों उसकी परवाह कर?

जानबूझकर ना हावी होने दे,बन्दे।


अन्याय, अकर्मण्यता, असत्य पर

विजय गर है पाना,डर को कह 'ना'

विजय पथ पर जो है चलना,डर ना

सामर्थ्य से कर, जो है करना।


ज़िंदगी सहज सफल बना, ना डर

आगे बढ़कर दूसरों को राह दिखा

कर्म कर,फल का ना इंतज़ार कर

असफलता का भी ले आनंद, ना 'डर'

जब सब स्वयं ही भोगना, संभल जा

वो कर जो तेरा कल, हो 'निडर'।


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