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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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चूनर

चूनर

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चूनर झालर वाली ओढ़ कर घूमे बिटिया रानी 

उसकी चटक मटक देख कर मैं जाऊँ वारी-वारी।


उसकी चाल में झलक आ रही जैसे नार मुटियारी

कभी नई दुल्हन सी लचक बनाती वह शरमारी।


मजा देख कर तब आता जब दादी सी लंगड़ाती

कोई हँसे तो दादी सी झिड़क लगा नकल लगाती ।


चूनर उसकी देख कर मैं मन ही मन रिझाऊँ

नज़र लगे ने किसी की यही शगन मनाऊँ।


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