चूनर
चूनर
चूनर झालर वाली ओढ़ कर घूमे बिटिया रानी
उसकी चटक मटक देख कर मैं जाऊँ वारी-वारी।
उसकी चाल में झलक आ रही जैसे नार मुटियारी
कभी नई दुल्हन सी लचक बनाती वह शरमारी।
मजा देख कर तब आता जब दादी सी लंगड़ाती
कोई हँसे तो दादी सी झिड़क लगा नकल लगाती ।
चूनर उसकी देख कर मैं मन ही मन रिझाऊँ
नज़र लगे ने किसी की यही शगन मनाऊँ।
