चन्द्रसुंदरी
चन्द्रसुंदरी
चन्द्र सुंदरी बैठी है, सज-धज कर इंतजार में
भारतवाले कब देंगे दस्तक, देवों के दरबार में।
भारतवंशियों का प्रण है, चंदा तुझतक आने का
अपने भूले विक्रम से फिर से सम्पर्क बनाने का।
बचपन से तुझको हम, मामा सदा बुलाए है
प्रियतम के मुखड़े को हरदम, तेरे जैसा गाए हैं।
सिर्फ कथानक की, अंतिम गाथा अवशेष है
चंदा तक जाने को संकल्पित पूरा देश है।
जो टूटे पंखों से उड़ ले भारत वही परिंदा है
विक्रम से सम्पर्क है टूटा, अभी हौसला जिंदा है।
चंदा की कक्षा में अब भी घूम रहा अपना प्रज्ञान
आज दिखाया भारत ने दुनिया को अपना विज्ञान।
याद रखो चंदा, हम ना यूं, उदास हो जाएंगे
धीर धरो हम भारत वाले, फिर से तुझतक आएंगे।
स्वर्गाधिपति को भी अब, जाकर खबर बताना ये
उनको भी भारत का, तुम संदेश सुनाना ये।
शचीपति कदम हमारे, तुम भी रोक ना पाओगे।
जाकर देखो अपनी छत पर, मेरा तिरंगा पाओगे।