चमकी बुखार
चमकी बुखार
सरकारों ने सीखा है
जुमलों में बात कहना
धर्म और पूंजीपतियों
का साथ देना
लेकिन
मैं
इस देश का नागरिक
शमशान में खड़ा होकर
पूछता हूँ-
कहाँ है स्वास्थ्य,
रोज़गार
और
गरीबी जैसे मुद्दे।
कहाँ है आपकी
आधुनिक तकनीकें
जो कि
चमकी बुखार के सामने
घुटने टेके बैठी हैं।
क्या इन बच्चों का
कोई दोष है?
वे नादान
कुछ बेजुबान
नहीं जानते कि
वे जहाँ पैदा हैं
वहाँ सरकारें
बिन पेंदी
का लोटा हैं।
हे पालक!
हे सृजनकर्ता!
यदि तू है
तो
इन अबोध बालकों की
अंतिम इच्छा
स्वीकार कर
और इनका साथ दे।
स्वास्थ,
रोज़गार व
गरीबी से
भटकने वाली सरकारों को
चमकी बुखार दे।
