STORYMIRROR

Sunil Chaudhary

Inspirational

3  

Sunil Chaudhary

Inspirational

नारी

नारी

1 min
262

नारी वह थी

जो ताउम्र

घर की दहलीज

न लांघ सकी

पति की मार सहती रही।


जब तक जी

अपने पति के लिए

बालकों के लिए 

समाज के लिए जी।


उसने चूल्हे को सुलगाकर

गोल रोटियाँ सेकी

सिलबट्टे पर चटनी घिसी

जो कि

पूरी दुनिया ने खाई

और खिलाते हुए

स्वंय भूखी ही रही 

पति की मार सहती रही।


उसने मैला ढोया

बालकों का

जब पति बीमार हुआ 

तब उसका

लेकिन वह गंदगी में

ही चल बसी

मिट्टी के तेल में

जलते-जलते।


उसने अपना सब मोह त्याग

परिवार को आगे बढ़ाया

लेकिन

खूब पीटी गयी और

कहलायी रंडी, तवायफ, बेशर्म ।


वह माँ हुई

बेटी हुई ,सास हुई

और उम्र के पड़ाव पर

स्वंय के द्वारा ही ठगी गई।


जब वह घर से निकली

उसके पीछे

दरिंदों की गैंग निकली

किसी ने सीटी बजायी

किसी ने रास्ता रोका

किसी ने उसको पकड़ा

किसी ने रेप किया।


उसने जब बताया कि वह 

किसी की बहन है

किसी की बेटी 

किसी की माँ 

तो स्वीकार हमेशा अपनी को

दूसरी को कभी नहीं।


उसने ठाना कि अपने

लिए लड़ेगी

तो फौज लेकर निकली

जो बिखर गई दुर्गा की तरह 

बॉह पसारे

काली की तरह 

नरमुंडों को डाले

और सभी को रौंद डाला।


अब तुम ऐसी ही रहना

जब तक कि वे

तुम्हें 

मारना न छोड़ दे।

पीटना न छोड़ दे।

जलाना न छोड़ दे।

अपने पैरों तले रौंदना

न छोड़ दे।

         



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational