चलो उठो अब जाग जाओ
चलो उठो अब जाग जाओ
प्रातः काल की बात अनोखी
आलसीपन से मोह मत जोड़ो
उगता सूरज कितना सुंदर
आकर देखो, बिस्तर छोड़ो।
ठंडी-ठंडी हवा चल रही
सूरज का धीमा है ताव
कितनी प्रेरणा मिलती इनसे
गवां मत दो इनका भाव।
कली खिल कर कमल बन गए
तारे छिप गए सारे
तुम क्यों थम गए? दही से जम गए
घोर आलस के मारे।
चला किसान हल जोत कर
खेतों में हरियाली आई
चिड़ियों की चहचहाहट से देखो
आस पास ख़ुशहाली छाई।
गाय चराने निकले ग्वाला
सबने शुरू कर दिया दिन
तुम जो ऐसे पड़े रहोगे
आगे बढ़ जाएंगे सब तुम बीन।
अमृत बेला सज्या त्याग कर
करो ईश्वर का ध्यान
उत्तम स्वास्थ्य रे बनोगे भोगी
निरंतर बढ़ेगा ज्ञान।
कल की थकान अब मिट चुकी है
नींद की वैद्यता हुई समाप्त
बिस्तर से उठकर तुम जल्दी
नूतन ऊर्जा करो प्राप्त।