चलो भगायें दूर अँधेरा।
चलो भगायें दूर अँधेरा।
नभ में सूरज आने वाला
तम घनघोर मिटाने वाला,
धीरे- धीरे गयी रात अब
तारों की न रही पाँत अब।
जीवन हर्षित देख सवेरा
चलो भगायें दूर अँधेरा।
ह्रदय बीच अज्ञान नहीं हो
सद्गुण का अवसान नहीं हो,
दूर करें हम घोर निराशा
बूँद मिले जब चातक प्यासा।
पावस का भू बने बसेरा
चलो भगायें दूर अँधेरा।
तिमिर बीच एक दीप जला कर
दीन-हीन का और भला कर,
शुभ्र - चाँदनी की लहरी हो
ज्योति-सरित चंचल, गहरी हो।
मिटे धरा से धूम घनेरा
चलो भगायें दूर अँधेरा।
