चली हूं
चली हूं
ख्वाबों के काफिले ले के तेरी राह पे चली
चूरा ना लेना कहीं इन्हें तू बीच रास्ते ही
तुम जब से मेरे इतने पास आ गए दिलबर
तब से मेरे अपने मुझसे हों गए सारे पराए
सांसों ने मेरी जीना सीख लिया हैं साथ तेरे
तुम कहीं अब दूर ना जाना दिल के मेरे सनम
बन कर टुकड़े सीने में ज़ख्म दे गया प्यार तेरा
तुम इसे अब सहलाने तो आ जाना एक बार
ये ज़िंदगी कितनी तनहाइयों में हैं डूबी सनम
कुछ बातें तो करके जाना दिल से तू हमनशी।
