चिराग का संदेशा
चिराग का संदेशा
शाम एक चिराग लेकर बैठा एक संदेशा,
मैंने सब को देखा पर किसी ने मुझे ही न देखा।
अँधेरी दुनिया में डूबे जा रहे हो,
समझ नहीं आता किस नाव पर तैर रहे हो,
इस नाव की खूबी हमे समझ न आये,
ना जाने ये नाव कैसे तुम्हें भाये।
तेरी खामियाँ कैसे बताये,
कदर तेरी कितनी है तुझे कैसे सुनाए।
मेरे कुछ इन्ही शब्दों पे मरे जा रहे हो,
और सबको पीछे छोड़कर,
खुद अकेले आगे बढ़े जा रहे हो।

