चींटी
चींटी
संकल्प भरा हो भावों में, नहीं दिखता कंटक राहों में,
साहस भरकर सांसों में, पग रखता पथिक जो राहों में,
कांटे भी फूल सदृश लगते मंजिल भी पास सदा दिखते,
चमकेगा सुख का सूरज भरता प्रकाश हर राहों में।।
साहस भरकर ही चींटी धीरे से पर्वत चढ़ जाती है,
भार से अपने ज्यादा भारी तिनके लेकर चल पाती है,
अथक परिश्रम करने वाले सुखमय जीवन कर पाते,
चींटी करके काम निरंतर सीख हमें दे जाती है।।
दृढ़ निश्चय आदर्श हैं उसके कभी मार्ग वो ना भटके,
प्रेम-भाव के आदर्शों से नहीं मार्ग में वो अटके,
बढ़ती प्रति पल बिना रुके वो कर्म भाव है सिखलाती,
संघर्षों से कभी ना डरती लड़ती बाधा से वो डट के।।
