anuradha nazeer
Tragedy
छुट्टी
किसको अर्जित दूं?
मुझे खुद से छुट्टी चाहिए ।
कोई
इन चीजों को र...
ज़िन्दगी का क...
प्यार दो
मूल्यवान
जीत
अपने काम से प...
सफलता
प्यार प्यार प...
प्यार की प्या...
कुछ समय के लिए अस्थाई तौर पर उधार दे दे। कुछ समय के लिए अस्थाई तौर पर उधार दे दे।
ना यह तेरी यादें होती, ना हमारे होठों पर आज सिगरेट होती। ना यह तेरी यादें होती, ना हमारे होठों पर आज सिगरेट होती।
वो मेरी नहीं हैं ये जान कर भी मौन हूँ पहली वारदात हैं मगर मैं रो नहीं रहा। वो मेरी नहीं हैं ये जान कर भी मौन हूँ पहली वारदात हैं मगर मैं रो नहीं रहा।
कहते यहाँ सब हमदर्द अपने, कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है ! कहते यहाँ सब हमदर्द अपने, कैसे कहूँ कोई दिखता नहीं है !
रूठकर उनका चले जाना , कभी समझ ही नही पाए हम। रूठकर उनका चले जाना , कभी समझ ही नही पाए हम।
नष्ट करलेता है इलाज धन संपत्ति हिम्मत लगता है करानेमे इसका नाश। नष्ट करलेता है इलाज धन संपत्ति हिम्मत लगता है करानेमे इसका नाश।
उसके कर्म उसको बनाते, दुनिया मे सफल वो खिलता बनकर कमल, दुनिया के दलदल। उसके कर्म उसको बनाते, दुनिया मे सफल वो खिलता बनकर कमल, दुनिया के दलदल।
अपना सारा सुकून वार दूं । नैन मिले तो जीवन बहार दूं । अपना सारा सुकून वार दूं । नैन मिले तो जीवन बहार दूं ।
हर चीज पुरानी होती है, सिवाय एक तमन्ना के। हर चीज पुरानी होती है, सिवाय एक तमन्ना के।
क्या हुआ जो दुनिया छूट गई इस दुनिया पर अफसोस मत कर। क्या हुआ जो दुनिया छूट गई इस दुनिया पर अफसोस मत कर।
जमे हुए आंसुओं के पानियों के निशान होते हैं। जमे हुए आंसुओं के पानियों के निशान होते हैं।
टूटे है उसके अंदर जो सब्र के बाँध आंखों में आँसू हो कर भी, टूटे है उसके अंदर जो सब्र के बाँध आंखों में आँसू हो कर भी,
दिल का मैखाना खोलता हूं मै, तूं मेखानेमें शोर मचाती नहिं। दिल का मैखाना खोलता हूं मै, तूं मेखानेमें शोर मचाती नहिं।
बैठा किसी टूटी छप्पर के नीचे, फिर दोहराता होगा लम्हे बीते। बैठा किसी टूटी छप्पर के नीचे, फिर दोहराता होगा लम्हे बीते।
मानव सौ प्रतिशत संवेदना शून्य हो जायेगा। मानव सौ प्रतिशत संवेदना शून्य हो जायेगा।
इस रात की ख़ामोशी को साहब कोई कभी समझ ना पाए। इस रात की ख़ामोशी को साहब कोई कभी समझ ना पाए।
दरवाजे तक आकर पछताए होंगे भोर और जीवन संध्या भूल गयी ! दरवाजे तक आकर पछताए होंगे भोर और जीवन संध्या भूल गयी !
सनातन हैं आराध्या हैं परमब्रह्म हैं राम सनातन हैं आराध्या हैं परमब्रह्म हैं राम
छुपकर तू तरसाती है मुझ को, अब नहीं सहे पाता ये तनहाई। छुपकर तू तरसाती है मुझ को, अब नहीं सहे पाता ये तनहाई।
तब तक जब तक कि.. प्रकृति ख़ुद निमंत्रण ना दे मुझे ठहर जाने का..! तब तक जब तक कि.. प्रकृति ख़ुद निमंत्रण ना दे मुझे ठहर जाने का..!