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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

छोटा मत समझो

छोटा मत समझो

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कभी अपने आप को छोटा मत समझो

पानी की एक बूंद को छोटा मत समझो

एक बूंद भी कभी हमे जिंदगी दे देती है

जीवन की हर सांस को कीमती समझो

दुनिया के बाग में हर फूल की कीमत है,

किसी फूल को यहां फ़िजूल मत समझो

एक चराग़ कभी सूरज का काम देता है

कभी चराग़ को सूरज से कम मत समझो

कभी अपने आप को छोटा मत समझो

ये तो वक्त-वक्त की बात है यहां पे साखी,

कभी किसी मज़लूम को कम मत समझो

आज रंक हो कल राजा भी हो सकते हो,

कभी अपनी मेहनत को मिट्टी मत समझो

आज जो मिट्टी है कल वो चट्टान भी होगी,

कभी हर अंधेरे को अमावस मत समझो

तिनका-तिनका कर घोंसला बन जाता है,

कभी किसी तिनके को कमजोर समझो

कभी अपने आप को छोटा मत समझो

माना तू यहां कोई शहंशाह नही है,साखी

पर खुद को शहंशाह से कम मत समझो

मेहनत में यहां पर जो यकीन रखता है,

वो सदा ही सफलता अपने संग रखता है

सफलता को भाग्य का दिया मत समझो

कभी अपने आप को छोटा मत समझो



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