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दिनेश कुमार कीर

Abstract Romance Fantasy

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दिनेश कुमार कीर

Abstract Romance Fantasy

छलित एहसास

छलित एहसास

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मैं अक्सर ही रातों को चौक कर 

गहरी निंद्रा से जाग जाती हूं

और मन में शुरू हो जाता है एक अंतर्द्वंद्व 

उस क्षण मैं सोचती हूं की आखिर क्यों 

मुझे अक्सर मध्य रात्रि गए ये कैसी

अनुभूति होती है

ये कैसी संवेदना है मुझे जैसे किसी ने 

पीड़ा भरे स्वर से पुकारा हो 

जानती हूं मेरे मन का वहम ही होता है 

पर मैं स्वयं को सांत्वना की थपकी

देकर सुलाने की निरंतर कोशिश करती हूं 

और समझाती हूं पीड़ित हृदय को की 

कोई नहीं है यहां कोई प्रेम की पुकार नहीं है 

ये जो करुणामय स्वर सुनाई देता है ये कोई 

छलित मन का एहसास है बस...



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