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J P Raghuwanshi

Inspirational

4  

J P Raghuwanshi

Inspirational

"चेतावनी"

"चेतावनी"

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अच्छे कर्म कर प्रानी,

बड़ी दुर्लभ जिन्दगानी।


चौरासी के चक्कर परों थो,

नौ महीना तू,गर्भ में रहो थो।

अब कै न कर नादानी,

बड़ी दुर्लभ जिन्दगानी।

अच्छे-------


कर्म प्रधान विश्व करि राखा,

जो जस करम सो,तस फल चाखा।

अब तो समझ ले प्रानी,

बड़ी दुर्लभ जिन्दगानी।

अच्छे-------


बालापन हंस खेल गंवाओं,

युवावस्था में खूब इतराओं।

बुढ़ापे में याद आई नानी,

बड़ी दुर्लभ जिन्दगानी।

अच्छे-------


मूरख जन्म तूनें भजन न कीन्हों,

सुंदर जीवन व्यर्थ गंवा दीन्हों।

अब केवल पछतानी,

बड़ी दुर्लभ जिन्दगानी।

अच्छे-------


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