चढ़ता घमंड
चढ़ता घमंड
अभिमान ही उस पतन का मूल है
कितने ज्ञानी
अभिमानी का साथी
कभी किसी को नहीं छोड़े।
अभिमान के शिखर पर चढ़ो
दिखाता है कि कितनी गेंदें हैं
आप इसे इसके बाद में प्राप्त करेंगे
कार्रवाई का परिणाम क्या है?
बहुतायत का भाई भीतर रहता है
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या करते हैं,
आप मौत के दूत के करीब हैं
सब पानी होगा।
जैसा कि क्रियाएं परिणाम हैं
जैसा कि शास्त्र कहते हैं,
इतिहास गवाह है
कहीं नहीं भाग सकते।
सब कुछ एक साथ भूल जाओ
मनुष्य का गीत गाता है,
सारे अहंकार को कुचल दो भाई
मन और आत्मा को जोड़ना।
चढ़ता घमंड जिंदगी लेगा,
रखेगा कुछ नही,
दो दिन का मेहमान है हम
रहेगा कुछ नही।
छोड़ो अपने मोह माया,
अपनाओ भाईचारा
देखो ये जग हमारी
हम तुम्हारे, तुम हमारे।