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Pooja Dolas

Tragedy

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Pooja Dolas

Tragedy

चाँद...

चाँद...

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दिखता तू खूब है पर ना जाने क्यूँ

तुझपे भी बंधा नकाब है,

ए चाँद, तू भी मेरी तरह नासाफ है


दूर है तू,पास तो कोई भी नही होता

खास है तू,पर एहसास तू हररोज है दिलाता,

इतनी उपर होके भी तू गर्व कभी नहीं जताता

फिर भी कभी ना मिला तुझे इंसाफ है,

ए चाँद,तू भी मेरी तराह नासाफ है


भुलाया नहीं जा सकता कभी तुझे,

सितारे सिर्फ रोशनी ही दिखाते,

पर तू तो राह का प्रदर्शक है,

ए चाँद, फिर भी क्यूँ

तू मेरी तराह नासाफ है


चाहत है तू सबकी,

लुभाता तुझे हर कोई है,

तुझपे प्यार होकर भी,

निभाता किसी और पे है,

जताता किसी और पे है


रुठता कोई और है,

मनाता कोई और है,

कितनी सारी उलझनें तेरे मोड़ पे,

सुलझाता कोई और है,

इसलिये ए चाँद,

तू भी मेरी तराह नासाफ है।


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