चाँद से रिश्ता
चाँद से रिश्ता
चाँद से इक रिश्ता है जैसे मेरा कोई अपना सा,
तभी तो सारी रात उससे बतियाती हूँ,
दर्द अपना उसे ही सुनाती हूँ,
उसकी मौजूदगी में तुम्हारी कमी भी भूल जाती हूँ,
क्योंकि चाँद से इक रिश्ता है कुछ अपना सा।
चाँद से इक रिश्ता है जैसे मेरा कोई अपना सा,
तभी तो सारी रात उससे बतियाती हूँ,
दर्द अपना उसे ही सुनाती हूँ,
उसकी मौजूदगी में तुम्हारी कमी भी भूल जाती हूँ,
क्योंकि चाँद से इक रिश्ता है कुछ अपना सा।