चाँद से रिश्ता और..!!
चाँद से रिश्ता और..!!
मैया मैं तो चंद खिलौना लोगों..!
बचपन में कान्हा ने चाँद क्या माँगा
हर बच्चे की ख़्वाहिश यही होगी
यही सोच कर आज चांद पर पहुँच गये वैज्ञानिक
नील आर्मस्ट्रांग से लेकर कल्पना चावला तक
बाल हड्डी करने वाले को न केवल तस्वीर दी
एक उम्मीद एक हौसला दे दिया हर माँ को
लाडले को खिलौना मत दो
पढ़ा लिखा खर भेज दो
चांद पर जीवन उम्मीद तलाशने
चंद्रयान ही नहीं मिशन मंगल अमल में लाओ
जाकर देखो वो बावला जादूई चांद
जो माँ से झिगोला लाने की जिद्द करता
माँ सूत कात रही उसके नाप का कुर्ता बनवाने को
आखिर वो है कैसा..?
धरती पुत्र और विद्युत समान कान्ति वाला वह मंगल
कभी तो आयेगा हमारी पहुँच में..!
अब कहाँ रहा कुछ कौतुहल से भरा पल
आज चांद कल मंगल फिर शनि प्लुटो
उसके बाद उससे भी आगे
आज का बाल कान्हा यही कहेगा
मैया मैं तो अंतरिक्ष में घर बनैहो
चांद सी दुल्हनिया नहीं, दुल्हनिया को चांद दिखैहों..?
कहाँ रहा अब कुछ पाना असंभव..!
विज्ञान की जय विजय कर रहा युग
कल को हम आकाश और
चांद सूरज पृथ्वी पर चरण रज धरेंगे
बस इतना है करना
कुछ करने का संकल्प ले मन लक्ष्य पर धरना
माँ को नहीं देना पड़ेगा लल्ला को संभावना
धरकर थाली में पानी चंदा मामा को पकड़वाना
बना है रिश्ता मामा के घर है आना जाना
सम्पर्क टूटा था रिश्ता तो है पुराना
आकाशगंगा के हर नक्षत्र के समीप है जाना
वैज्ञानिक युग है नहीं चलेगा कोई बहाना..!
हम मांगेंगे नहीं हमें आपके पास है आना..।