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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Inspirational

चामर छंद मुक्तक...

चामर छंद मुक्तक...

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मापनी-212 121 212 121 212)


रक्त जानता यही कि देश ही पुकारती ।

वीर युद्ध में न माॅंग पुष्प हार मालती ।।

आन-बान-शान माॅंगते महान जान को ।

देख-देख जिंदगी कि मौत ही नकारती ।।


काल-काल जाल है कहे मसान आरती ।

देख-देख भाग्य लेख मौत ही दुलारती ।।

आर पार देख वार बार-बार जीत हो ।

दर्प-गर्व छोड़ आज काल अंत मारती ।।



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