चाहना किसी को
चाहना किसी को
किसी को चाहना भी क्या खता की बात हुयी
उनके नफरत में मोहब्बत की न सौगात हुयी।
उनके जुल्मो सितम पे भी मेरा मोहब्बत है
न जाने दिल क्यूं उनकी ही बस इबादत है।
वफ़ा को भूलना होगा दिले फितरत उनका
मेरे दिल में मोहब्बतों की बस जज़्बात हुयी।
भुला दे हम उन्हें ये बात भी मुमकिन है नहीं
बगैर उनके मेरा कुछ भी है जीवन ये नहीं।
उनको इस बात का एहसास हो या ना हो शिवम्
दिल के संगीत में उनके बिना न कोई गात हुयी !