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अनिल कुमार केसरी

Inspirational Others

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अनिल कुमार केसरी

Inspirational Others

चाह यही

चाह यही

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चाह नहीं सोने के ताजों की,

आगे-पीछे चलने वाले नौकर-प्यादों की।

ख़्वाब नहीं सोने की लंका हो,

पहचान रहे, घीस-घीस के चमका हो।

सबके दिल में जगह बनाऊँ,

चाह यही, अंत समय तक कलम चलाऊँ।

जन-जन तक शब्दों में पहुँचूँ,

कविता में गाऊँ, सबके जीवन में चहकूँ।

यथार्थ लिख सकूँ इस दुनिया का,

कुछ ऐसी ताकत, कुछ ऐसा साहस चाहता।

सबके सुख-दुख को शब्दों में कह पाऊँ,

चाह यही, दुनिया का कलमकार कहलाऊँ।

माटी का तन, माटी में मिल जाता,

 जीवन वही, जो औरों के काम है आ जाता।

कुछ ऐसी छवि, कुछ ऐसा नाम कमाऊँ,

चाह यही, मरकर भी साहित्य में पहचाना जाऊँ।



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