कलम जब बोलती है
कलम जब बोलती है
जब-जब भी कलम बोलती है,
सत्ता के गलियारों में गद्दी डोलती है,
जब भी कलम ज़िम्मा उठाती है,
सच का हाथ पकड़ सबको बताती है,
कलम की आवाज़ अदम्य है,
अन्याय पर न्याय का वार अक्षम्य है,
कलम बहुत पैना प्रहार करती है,
जब भी बोलती है, कोई सुधार करती है,
कलम बदलाव की आँधी ला सकती है,
बड़ी-बड़ी सत्ताएँ पल में हिला सकती है,
कलम में युग-परिवर्तन की क्षमता है,
जन-जन को जगाने की बहुमतता है,
कलम मुर्दों में जान ला सकती है,
बुझे शोलों में आग सुलग़ा सकती है,
कलम जब सच बोलने पर आती है,
जन-जन के विचारों में जागृति ले आती है,
जब-जब भी कलम बोलती है,
इतिहास के पन्नों पर बदलाव छोड़ती है...।
