मेहनत से किस्मत
मेहनत से किस्मत
मेहनत करने वाले की तो,
बात निराली होती है।
जो करते हैं आलस उनकी,
किस्मत खाली होती है।।
चिड़िया धुन की पक्की जिसका,
समय भी स्वागत करता है।
कौआ केवल बैठा बैठा,
कांव कांव ही करता है।।
बहुत हुआ आलस का जीवन,
जाग उठो, उस ओर चलो।
जाग उठे हो, निद्रा त्यागो,
जल्दी जल्दी भोर चलो ।।
मंज़िल का कर जिसने चूमा,
बात उसी की होती है।
जो करते है आलस उनकी,
किस्मत खाली होती है।।
असफलता एक चुनौती है,
इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और
सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद
चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर
मत भागो तुम।
वो आज कामयाब है, क्योंकि
जब वो जग रहे थे रातों में ,
तब हम सो रहे थे ख्वाबों में।
जब वो पढ़ रहे थे किताबों को ,
तब हम पढ़ रहे थे व्हाट्सप्प को।
जब वो कर रहे थे कोशिश
अपनों का सपना पूरा करने की,
तब हम कर रहे थे कोशिश गैरों का
सपना पूरा करने की।
जब वो नजरबन्द थे एक कमरे में,
तब हम दिख रहे थे सिटी मॉल, से
सिनेमा हॉल में, जब वो उलझे थे
किताबों से, तब हम उलझे थे
राजनीतिक मुद्दों से।
जब वो उलझे थे देश-विदेश की
खबरों में,
तब हम उलझे थे गाँव देश की फ़ोन
कॉल में।
वो आज कामयाब है।
भँवर में सही कश्ती को मोड़ कर
तो देखो
बारिश में पैर जमीं पे गड़ा कर
तो देखो
कुछ भी है मुमकिन अगर ठान लें
हम सब
हाथ समानता की ओर बढ़ाकर
तो देखो
भेदभाव ख़त्म कर अब अपनी
बेटी को शिक्षा के शिखर पर चढ़ा
कर तो देखो
हुनर है इनमें दुनिया को बदलने
का बेटियों को बेटों सा पढ़ा कर
तो देखो, हैं इनमें सुनीता और
कल्पना सी उड़ान
इनके पंखों को फड़फड़ा कर
तो देखो।
कामयाबी क्यूँ न हमे मिले,
जब चलना हमारा काम है।
रास्ते कभी न रोक सके,
जब पैरो में अपने जान है।
सीखा है हमने ये सदा,
जीते तो दुनिया ग़ुलाम है।
अपने प्रण में रहे हम द्रण,
माँगा ये वरदान है।
कामयाबी क्यूँ न हमें मिले,
जब चलना हमारा काम है।
ना जाने वो पल हाथ से कैसे
छूट गया
ना जाने कब कैसे कोई अपना
रूठ गया
अनजान थी मैं हर एक वो
चीज़ से
ना कोई अंदाज़ा रहा और
मेरा ख़्वाब यू ही टूट गया
पर अब मुझे समझ आ गया
ख़्वाब दूसरा आ जाएगा
वक़्त लेकिन चला जाएगा
वक़्त ऐसी चीज़ है जो
हँसाएगा ओर रुलायेगा
मिट जाएगा अंधेरा होगा नया
सवेरा, ज्यादा नहीं बस दो-चार
पल की रात है
जब हिम्मत टूटने लगे समझना
अभी शुरुआत है !!
ऐसे नहीं मिलती मंज़िलें रास्ते चुन
लो सही
चलते रहो बनकर पथिक काँटों
की परवाह कर नहीं
पैरों में जब छाले पड़ेंगे दर्द छोटी
बात है
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना
कि अभी शुरुआत है!!
बर्फ से पाला पड़ेगा रुकने ना देना
कदम
सूर्य भी पिघलाएगा तब पड़ ना जाना
तुम नरम
अरमान बहने दो ना अब इम्तिहान
की बरसात है
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि
अभी शुरुआत है !!
सफर आधा कर लिया हिम्मत लगी
जब टूटने
कमज़ोर तुझ को देख सब इज़्ज़त
लगेंगे लूटने
बन रहा कलंक क्यों ? दुष्टों की
यहां बारात है
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना
अभी शुरुआत है !!
जितनी भी ठोकर खा रहा तू गिर
रहा उठ कर के चल
हृदय में पत्थर बांध ले हर बार गिर
गिर कर संभल
मत हार हिम्मत होगी कल मंज़िल से
मुलाकात है
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि
अभी शुरुआत है !!
ये रास्ते होंगे कठिन मज़बूत तुम को
कर रहे
कि लड़ सको यमराज से तुम व्यर्थ में
क्यों डर रहे ?
टिकता समर में वीर वो हर शस्त्र
जिसको ज्ञात है
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि –
अभी शुरुआत है !!
ऐसे बन जाओ तुम हर ख़तरों से जो लड़
सको..
अर्जुन सा बन कर लक्ष्य के हर दुर्ग पर
तुम चढ़ सको
कहता है आर्यन सिंह इम्तिहान के
बाद नव प्रभात है
जब हम मत टूटने लगे तो समझना
अभी शुरुआत है !!