बलिदानों की गाथा
बलिदानों की गाथा
इतिहास के पन्नों में, अमर हो गये बलिदानी...,
स्वर्णिम शब्दों में वर्णित उनकी अमर कहानी।
वह भारत माँ की आज़ादी के सच्चे सिपाही...,
देश के खातिर सूली चढ़ने वाले आज़ादी के राही।
भारत का जन-मन गाता, उन वीरों की कुर्बानी,
लाखों कथा-कहानी उनकी, जन-जन की ज़ुबानी।
देश-प्रेम, उनके जीवन का अंतिम ध्येय रहा...,
जीवन से ज़्यादा उनको, अपने वतन से स्नेह रहा।
कथा सुनाते जन-जन, आज़ादी के उन शेरों की,
दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले उन शमशेरों की...।
देश के आगे अपना जीवन भी उनको तुच्छ लगा,
आजादी के ख़ातिर बलिदान ही उनको उच्च लगा।
है 'आज़ादी जन्म-सिद्ध अधिकार' वह कहते रहे,
आज़ादी पाने की खातिर दुश्मन से लौहा लेते रहे।
उनके बलिदानों की पावन कहानी हम गाते रहेंगे,
इतिहास के पन्ने, उनके बलिदानों को सुनाते रहेंगे।
