बुढ़ापे की सनक 🙄
बुढ़ापे की सनक 🙄
बुढ़ापे की सनक भी अजीब है,
समझती ये खुद को मुफीद है ,
न किसी से कहना न किसी से सुनना,
बस उसे तो अपने मन की ही करना,
बच्चे भी हो जाएं फेल
जब बूढ़े करे रेलम पेल।
ये बुढ़ापा भी अजीब है ,
माने खुद को रफीक है ,
तौबा करे खाला भी ,
तौबा करे मौला भी ,
ये बुढ़ापे की सनक भी
होती सब से अजीब है।
