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Renuka Singh

Abstract

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Renuka Singh

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बुढ़ापे की सनक 🙄

बुढ़ापे की सनक 🙄

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बुढ़ापे की सनक भी अजीब है,

समझती ये खुद को मुफीद है ,

न किसी से कहना न किसी से सुनना,

बस उसे तो अपने मन की ही करना,

बच्चे भी हो जाएं फेल 

जब बूढ़े करे रेलम पेल।

 

ये बुढ़ापा भी अजीब है ,

माने खुद को रफीक है ,

तौबा करे खाला भी ,

तौबा करे मौला भी ,

ये बुढ़ापे की सनक भी 

होती सब से अजीब है।

    

   


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