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rekha shukla

Inspirational

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बुढ़ापा

बुढ़ापा

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प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना 

हलवा पूरी गटक सकूं 

और चबा सकूं मैं चना चबैना 

प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना 


मेरे तन की शुगर ना बढ़े,

रहे मिठास जुबाँ की कायम 

तन का लोहा ठीक रहे

और मन में लोहा लेने का दम


चलूँ हमेशा ही मैं सीधा,

मेरी कमर नहीं झुक जाए 

यारों के संग, हंसी ठिठौली,

मिलना जुलना ना रुक जाए, 

जियूं मस्त मौला बन कर मैं,

काटूँ अपने दिन और रैना 

प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना 


भले आँख पर चश्मा हो 

पर टी वी, अखबार पढ़ सकूं 

पास हों या फिर दूर रहें 

ित्रों से मैं बात कर सकूँ 

चाट पकोड़ी, पानी पूरी,


खा पाऊं, लेकर चटखारे 

बीमारी और कमजोरी,

फटक न पाएं पास हमारे

सावन सूखा, हरा न भादों ,

रहे हमेशा मन में चैना 

प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना।


मेरे जीवन की शैली पर ,

नहीं कोई प्रतिबंध लगाए 

जीवनसाथी साथ रहे 


संग संग हम दोनों मुस्काएं 

नहीं आत्म सम्मान से कभी,

करना पड़े हमें समझौता 

बाकी तो जो, लिखा भाग्य में,

जो होना है, वो ही होता 


करनी ऐसी करूँ, गर्व से,

मिला सकूं मैं सबसे नैना

प्रभु, बुढ़ापा ऐसा देना।


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