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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

बटुआ

बटुआ

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आज की नारी में बहुत समझदारी है

पति के साथ वो भी काम करती भारी है

पति का बटुआ,

उसके नसीब का है जुआ


आज भी बटुए को चोरने की उसकी तैयारी है

आज की नारी में बहुत समझदारी है

भले रोज वो पैसे के लिए लड़ती है

पर परिवार पर वो सदा ही मरती है

आज भी बटुए से देती गम को वो सुपारी है


आज की नारी में बहुत समझदारी है

जब हर तरफ़ के रास्ते बंद होते हैं

हर तरफ से दरवाजे बंद होते हैं

तब ये उनका बटुआ,


हारे जीवन को देता होंसला बड़ा भारी है

आज की नारी में बहुत समझदारी है

ये बटुआ लगता है,

कभी तो खुदा की उधार देनदारी है

आज की नारी में बहुत समझदारी है।


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