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Abhilasha Deshpande

Drama

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Abhilasha Deshpande

Drama

बसंत

बसंत

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हो बसंत तुम बिल्कुल भोले

आ जाते हो दिल को खोले


सदा लिये आतुर से होकर

रसव़ंती के रस के गोले


तुमना संभले संभल गयी है

दूर बहुत अब निकल गयी है


देने-लेने के मौसम में

दुनिया कितनी बदल गयी है।


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