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बसन्त ऋतु का आगमन

बसन्त ऋतु का आगमन

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बसन्त का आगमन हुआ है,

किसी ने इस दिल को छुआ है।


मन्द - मन्द शीतल - सी जो ये पवन है,

लगता है तेरे ही स्पर्श की छुअन है।


खिल उठे बगिया में ज्यों ही फूल,

ये दिल गया है सब कुछ भूल।


हो सुबह की कोयल का गुनगुनाना,

या हो किसी चिड़िया का कोई गाना।


हर स्वर, हर शब्द के साथ जुड़ा है,

बस यही तराना।

यह तुम ही हो, यह तुम ही हो।


शीतल चांदनी रात हो,

या तुमसे जुड़ी कोई बात हो।


वृक्षों पर पत्ते नये आये ,

या पूरी धरती पर हरियाली छाए।


हर लम्हा याद तेरी ही आती है,

मेरी रुह मुझे अहसास बस यही कराती है

यह तुम ही हो, यह तुम ही हो।


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