बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
मां सरस्वती, जिस पे तेरी कृपा हो जाए,
वो जहां भी जाए, रास्ता अपना बनाए।
नयनों में सपने आए, होठ भी मुस्कुराए,
कोई आए या जाए, उसको अपना बनाए।
तू ज्ञान की देवी, जहां पर ज्ञान बरसाए,
कोई महामूर्ख वहां, कालीदास कहलाए।
जो अपने मन मंदिर में, तुमको बसाए,
बिन मांगे मैया, उसकी झोली भर जाए।
केवल एक बार मां, तेरी वीणा बज जाए,
जग में स्थान वह, एक मंदिर बन जाए।
यदि किसी गूंगे पर, तेरी नजर पड़ जाए,
बनकर महाज्ञानी वह, जग में छा जाए।
अमर ज्योति कहलाए, जिसे तू जलाए,
जहां जहां तू जाए, ज्ञान गंगा लहराए।
थोड़ी कृपा मांग रहा है कृष्णदेव बेचारा,
तुमको भा जाए तो, बेड़ा पार हो जाए।