बसे हो मेरी यादों में...!
बसे हो मेरी यादों में...!
मेरे बाबा !
हूँ तुमसे दूर जरूर
फिर भी बसे हो मेरी यादों में,
दिया जन्म,
माँ ने जरूर,
पर ममता तो उड़ेली तुमने ही,
पहला कदम चलना भी
सिखाया था तुम्हीं ने,
छुप-छुपकर
मेरी बातों को सुन
मन-ही-मन मुस्कुराना तुम्हारा,
जब देखों,
मेरे ही किस्सों को दोहराना,
न जाने कितनी बार
हाँ ! न जाने कितनी बार
माँ को पड़ी डाट मेरे ही कारण !
मेरी हँसी थी तुम्हारी,
मेरा रोना था ...I
बसा है तुम्हारा संसार मुझी में !
लाड- प्यार तुम्हारा
ह्रदय को भर देता है उल्लास से,
मुझे मनाने की तुम्हारी योजनाएं,
आती हैं जब याद मुझे,
दे जाती है मुझे
एक विलक्षण-सी मुस्कान I
