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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Fantasy

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Kumar Gaurav Vimal

Abstract Drama Fantasy

बस इतना सा ख़्वाब है...

बस इतना सा ख़्वाब है...

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रहकर मैं हमेशा शांत सा,

सुनता रहूं सबकी बातें भरपूर...

देकर ज़ुबान अपने कलम को,

हो जाऊँ एक दिन मैं मशहूर...


लेकर अपने सपनों की पोटली,

सबके सपने मैं साकार करूं...

कह न सकूँ जो बात मैं दिल के,

कलम से उनको इज़हार करूं...

एक नज़र में सब पर चढ़ जाए,

एक दिन मेरी कविताओं का सुरूर...

देकर ज़ुबान अपने कलम को,

हो जाऊँ एक दिन मैं मशहूर...


औरों के जो दिल में धड़के,

जज़्बात वो मेरे शब्दों में आए...

पढ़कर किसी के आंसू छलके,

कभी कोई खुलकर मुस्कुराए...

जुड़ जाने को मेरे शब्दों से,

कर दूँ मैं सबको मजबूर...

देकर ज़ुबान अपने कलम को,

हो जाऊँ एक दिन मैं मशहूर...


अरमान ये सच कर देने को,

ये दिल बड़ा ही बेताब है...

ए खुदा मुझपर भी ध्यान दे,

मेरा तो बस इतना सा ख़्वाब है...

सच हो जाए बस सारे सपने,

रहे ना मुझसे अब ज़रा भी दूर...

देकर ज़ुबान अपने कलम को,

हो जाऊँ एक दिन मैं मशहूर...


रहकर मैं हमेशा शांत सा,

सुनता रहूं सबकी बातें भरपूर...

देकर ज़ुबान अपने कलम को,

हो जाऊँ एक दिन मैं मशहूर...


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