बर्फ बम्बई में
बर्फ बम्बई में
अगर गिरती बर्फ, बम्बई में कहीं,
खुशी से पागल हो उठती मैं,
खेलती-कूदती, नाचती रहती,
शायद सर्दी के कपड़े भी नहीं पहनती।
चली जाती उस बर्फ में कहीं,
खेलती रहती स्नोमैन बना के,
उस ठंडी-ठंडी बर्फ बारी में,
शायद मैं छोटा सा अपना घर भी बना लेती।
फिर हो जाती मुझे सर्दी तेज,
पीती रहती गरम-गरम चाय मैं,
सुर-सुर सुरखिया लगाती रहती मैं,
उस भाप के लम्हों में खुद को संवारती रहती मैं।